! श्री वासुदेव श्रीकृष्णाय नमः !! ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ " मानसिक तनाव का मूल कारण क्या है ? " { २ } : ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ आदरणीय गुरुदेव श्री सर्वज्ञ शङ्करेन्द्र जी द्वारा आशीर्बाद रूप में प्राप्त नारायण ! जब कभी हमारे सामने कोई पदार्थ आता है तो तुरन्त उभोग की कामना होती है । बचपन से वृद्धावस्था तक यह क्रम चलता है । बच्चे बढ़ते - बढ़ते युवा हो जाते हैं , हमारी मांस पेशियों मेँ प्रौढ़ता और पुष्टि आ जाती है , पर हमारे मस्तिष्क की स्थिति वही बनी रहती है जो बचपन में थी । जैसे बच्चा किसी भी पदार्थ को देखता है तो तुरन्त उठाता है , उसे हाथ में लेकर खेलना चाहता है , उसके ऊपर अधिकार जमाना चाहता है और यदि उस अधिकार में रुकावट आती है तो अपने को अत्यन्त दुःखी समझता है और सोचता है कि हमारे सामने यह रुकावट क्यों आ रही है , वैसे ही हम बड़े लोग भी करते हैं । जब कोई पदार्थ हमारे सामने आता है , तो उस पर आधिपत्य जमाने के लिए दौड़ते हैं और यदि वह हमारे हाथ में नहीं आ पाया तो बच्चे की तरह ही , सचमुच या काल्पनिक विघ्नकारी विरोध करने लग जाते हैं । छोटा बच्चा जब दौड़कर किसी के जूते उ...