जीवन, आनंद का दूसरा रूप है .
क्योकि इसमे छुपा प्रभु का स्वरुप है
देखा जाय तो केवल आप सोचने से अपने को दुखी या सुखी महसूस करते है .
तो क्यों न हम अपने को सुखी महसूस करे ,
जैसा आप सोचते है भगवन आपको वैसा ही बनाने में जुट जाते है ,आखिर
आप वही बनते है जैसा आप सोचते है .
तो क्यों न हम अपनी सोच को सही दिसा की तरफ ले जाय ,तो निश्चित
हम एक अछि दिसा में होंगे
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